GST का Collection Base गलत है
हमने Feb-2012 में एक प्रश्न CA Club India पर भेजा था जिसका जवाब हमें आज तक नहीं मिला।
What is the collection base of Indirect Tax (GST) ?
हमारे मत से GST का Collecton Base होना चाइये किसी वस्तु या सेवा के अंतिम उपभोगता से GST वसूलना चाहिए चाहे वो Human Persons हो या Legal Persons हो परन्तु GST में ऐसा नहीं है GST का Collection Base Unregistered Dealer है।
आम आदमी पर Income Tax से ज्यादा GST की मार पड़ती है। जिन्हे सरकार Income Tax Free बताती है उससे भी GST वसूलती है सरकार।
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Income |
Saving % |
Expenses inclusive GST |
Expenses |
Avrage GST @ 12% |
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Upto 1,50,000 |
0% |
1,50,000 |
1,33,929 |
16,071 |
|
Upto 3,00,000 |
5% |
2,85,000 |
2,54,464 |
30,536 |
|
Upto 4,00,000 |
10% |
3,60,000 |
3,21,429 |
38,571 |
आम जनता तो MRP पे माल खरीदता है परन्तु सरकार तक वो GST नहीं पहुंच पाता। सरकार ने खुली छूट दे रखी है Business Man को की आम जनता से GST ले के उसको अपनी Income बनाये।
सरकार ने आम जनता पर पहले ही आय कर का ज्यादा बोझ डाला हुआ है और ऊपर से GST का भी सारा बोझ आम जनता पर डाल दिया है। मान लीजिये आम जनता और Legal Person Fixed Assets खरीदता है तो आम जनता को GST का लाभ नहीं मिलता वही Legal Person को GST लाभ मिलता है। आम जनता को किसी भी खरीदी पर GST का लाभ नहीं मिलता वही Legal Person को हर खरीदी पर GST का लाभ मिलता है। लोग हमें कहते है की Legal Person को GST का लाभ इस लिए दिया जाता है ताकि वस्तु या सेवा के दाम सस्ते हो, परन्तु बाजार में तो दिन प्रति दिन वस्तु या सेवा के दाम बढ़ते ही चला जा रहा है।
Accounting Principal कहता है की यदि एक ही व्यक्ति से लेना और देना हो तो दोनों खाता अलग अलग बनाना चाइये, परन्तु GST में ऐसा नहीं है। हमारे मत से GST Payable और GST Receivable का खाता अलग अलग होना चाइये। सरकार को चाहिए के सबसे पहले GST Received करे और बाद में GST Pay करे न की GST Receivable में से GST Payable बाद करने के बाद जो GST बचता है वो वसूले।
GST और TDS में चालान Genrate करने का तरीका गलत है। हमारे मत से सबसे पहले GST और TDS Return भरने के बाद Entry Select करके चालान Genrate होना चाहिए। इस से गलती होने के समभावना कम होता है और खाता भी सही रहता है । इस से सरकार को यह पता चलता है जिसको GST देना है उसका GST लिया है की नहीं। इस के साथ साथ चालान में Late Fees, Interest, Fine etc. Auto Genrate होना चाहिए। इस वय्वस्ता का फायदा ये है जो लोग Duplicate Bill बनाकर GST नहीं भरते है और दूसरे को GST का फायदा दिलाते है वो अब नहीं कर सकेंगे।
हमारे मत से GST में भी Tax & Retail Invoice का Formet होना चाहिए ताकि सरकार को पता चल सके की कितना कर्जा है और कितनी आमदनी है। हमने GST में अभी तक पक्का बिल और Receipt का Format नहीं देखा है।
हमारे हिसाबसे जिसकी सालाना आमदनी 10,00,000 से जयदा है उसे Compalsary बिल बनाना चाहिए। और जिसकी आमदनी 10,00,000 से कम है उसे Income Sheet बनानी चाहिए।
हमारे हिसाबसे पक्का बिल।/ Receipt का Format निम्न प्रकार होना चाहिए।
1. पक्का बिल / Receipt पे मालिक्की तस्वीर होनी चाहिए ताकि कोई Duplicate बिल / Receipt बना न सके।
2. पक्का बिल / Receipt पर मालिक का PAN, Aadhar, GST etc. नंबर Printed होना चाहिए।
3. पक्का बिल / Receipt पर पार्टी का PAN, Aadhar, GST etc. नंबर होना चाहिए।
4. पक्का बिल / Receipt नंबर Printed होना चाहिए।
हमारे हिसाब से Income Sheet निम्न प्रकार होना चाहिए।
1. Income Sheet पर मालिक्की तस्वीर होनी चाहिए।
2.. Income Sheet पर PAN या आधार नंबर Printed होना चाइये।
3. Income Sheet में बिल नंबर, तारीख, खरीदने वाले का PAN या आधार नंबर, PIN Code, Item, Amount और Mode of Payment जैसे Colam होना चाहिए।
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Source: Taxopedia – reproduced intact for educational reference.
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