व्यापर में नफा का पूरी तरह इस्तमाल नहीं करना
इस अर्थतंत्र में Business नाम का Dam है जिसमे Profit रूपी पानी जमा हो रहा है जोकि Cash और Bank Income की नदी से आ रहा है। इस Dam के खर्च रूपी दरवाजा बंद होने के कारण इस Dam के पानी में एक Loan और Credit Card का बवंडर खड़ा हो गया है जिसमे करीब 90% आदमी फसे है। इस Dam का पानी खतरे के निशान से ऊपर चला गया है इस लिए जरुरी हो गया है की जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी खर्च का दरवाजा खोल देना चाइये।
महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण नफा का पूरी तरह इस्तमाल नहीं करना है। हर साल नफा नुकसान खाते से दो खाते Balance Sheet में जाते है एक स्टॉक और नफा, लेकिन दूसरे साल केवल स्टॉक ही नफा नुकसान खाते में लाया जाता है जिससे नफा नुकसान का खाता का Balance बिगड़ जाता है। किसी भी साल में कोई भी खर्चा पिछले साल के नफा से बाद नहीं किया जाता। मान लीजिए की पिछले साल का नफा देखकर इस साल सभी स्टाफ की तन्खा बढ़ायी जाये, बढ़ी हुई तन्खा भी पिछले साल के नफा से बाद नहीं किया जाता, बल्कि बढ़ी हुई तन्खा का बोझ इस साल की आय पर पड़ता है, जिससे मालिक अपनी वस्तु की कीमत बढ़ा देता है जिससे महंगाई बढ़ती जाती है।
नफा का इस्तमाल Fixed Assets खरीदने के लिए किया जाता है परन्तु Depreciation के जरिए हर साल नफा नुकसान में बाद लेते है इस लिए नफा का कुछ समय तक इस्तमाल होता है, परन्तु पूरी तरह इस्तमाल नहीं होता। यदि नफा का इस्तमाल होता तो नफा नुकसान का Balance घटता जैसे की Fixed Assets का Balance Depreciation के जरिए घटता है लेकिन ऐसा नहीं होता, हर साल नफा नुकसान का Balance बढ़ता ही जाता है, केवल जिस साल नुकसान होता है तभी नफा का इस्तमाल होता है। हमारे मत से नफा का एक ही इस्तमाल की वह केवल आय कर की गिनती में काम आता है। नफा का इस्तमाल नहीं करने की वजह से 1964 में 24 कैरेट सोना प्रति 10 ग्राम 63.25 रूपये था और आज लगभग 1,00,000 रूपये से ज्यादा हो गया है।
ज्यादा तर व्यापारी का मानना है की खर्च कम करने से नफा बढ़ेगा लेकिन हमारे मत से यह गलत है क्योकि बिना आय के खर्च नहीं हो सकता, वैसे से ही बिना खर्च के आय भी संभव नहीं है, आय और खर्च एक दूसरे के पूरक है। नफा का इस्तमाल नहीं करने की वजह से अमीर आदमी और अमीर हो रहा है और गरीब और गरीब। कोई भी Business Man अमीर केवल उसकी मेहनत की बदौलत ही अमीर नहीं बनता वह अमीर मेहनत के साथ साथ Profit का Utilisetion नहीं करने की वजह से अमीर बनता है। हमारी अर्थ व्यवस्था ऐसी है की जिसके पास खरीदने के लिए कोई सामान बाकि नहीं है उसकी खरीद शक्ति बढाती है और जिसके पास खरीदने के लिए बहोत सामान बाकि है उसकी खरीद शक्ति घटाती है। यदि नफा का जल्द इस्तमाल नहीं किया गया तो हम कभी भी महंगाई और बेरोजगारी पे रोक नहीं लगा सकते है।
हमारे हिसाब से नफा नुकसान खाते को दो हिस्से में बाट देना चाहिए, एक Utilise नफा और दूसरा Unutilise नफा। हमारे हिसाब से Long Term Investment यानि Fixed Assets को Utilise नफा मानना चाहिए और उसी में से Depreciation बाद करना चाहिए। Unutilise नफा को हर साल नफा नुकसान में ले जाना चाहिए और जो साल के अंत में नफा बचता है उस पर कर वसूलना चाहिए।
हमारे हिसाब से नफा या नुकसान केवल दो Accounting Group का अंतर है और कुछ नहीं। नाही नफा होने से Balance Sheet में 1 रूपया Assets बढ़ जाता है और नाही नुकसान होने से Balance Sheet में 1 रूपया Liabilities बढ़ जाता है।
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